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रॉबर्ट वाड्रा से किस केस में लगातार पूछताछ कर रही ईडी? जानिए क्या है मामला

04-18 IDOPRESS

Robert Vadra Haryana Land Scam Case: रॉबर्ट वाड्रा के साथ प्रियंका गांधी हर समय खड़ी नजर आती हैं.

Robert Vadra Haryana Land Scam Case: हरियाणा लैंड स्कैम से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग के मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की प्रियंका गांधी के पति रॉबर्ट वाड्रा से आज की पूछताछ खत्म हो गई है. आज करीब 6.30 घंटे तक ED ने वाड्रा से पूछताछ की. गुरुवार को रॉबर्ट वाड्रा से पूछताछ का तीसरा दिन है. मंगलवार और बुधवार को 6-6 घंटे की पूछताछ हुई थी. भूमि सौदे मामले में ईडी के सामने पूछताछ के लिए पेश होने के दौरान रॉबर्ट वाड्रा ने मीडिया से बात करते हुए केंद्र सरकार पर सत्ता का दुरुपयोग करने का आरोप लगाया. उन्होंने कहा कि जितने दिन भी बुलाएं हम जाएंगे. सभी सवालों के जवाब दे दिए हैं. इन सभी सवालों के जवाब पहले ही दिए जा चुके हैं और इसमें कुछ भी नया नहीं है.

रॉबर्ट वाड्रा का क्या है हरियाणा वाला मामला

कुछ ही घंटों में म्यूटेशन,सरकारी लाइसेंस,और फिर करोड़ों में जमीन की बिक्री. ये सब एक बड़े ज़मीन घोटाले की कहानी है,जिसमें कई बड़े नाम जुड़े हुए हैं. साल 2008 में,हरियाणा में कांग्रेस की सरकार थी और भूपेंद्र सिंह हुड्डा मुख्यमंत्री थे. इसी दौरान रॉबर्ट वाड्रा की कंपनी स्काईलाइट हॉस्पिटैलिटी ने गुरुग्राम के शिकोहपुर गांव में 3.5 एकड़ जमीन खरीदी. ये जमीन उन्होंने ओंकारेश्वर प्रॉपर्टीज से 7.5 करोड़ रुपये में ली.

आरोप है कि मिनटों में हुआ म्यूटेशन!

आरोप है कि इस जमीन का म्यूटेशन कुछ घंटों में ही पूरा करवा लिया गया,जो आम तौर पर कई दिनों का काम होता है. इसके तुरंत बाद हरियाणा सरकार ने वाड्रा की कंपनी को इस जमीन पर कमर्शियल कॉलोनी बनाने का लाइसेंस दे दिया. यही वो वजह है,जिससे वाड्रा का ये जमीनी सौदा उनके गले की फांस बन गया.

करोड़ों में बेचा डीएलएफ को

कुछ महीनों बाद,जून 2008 में,वाड्रा की कंपनी ने वही जमीन डीएलएफ यूनिवर्सल को करीब 58 करोड़ रुपये में बेच दी. यानी कंपनी ने कुछ ही महीनों में करीब 50 करोड़ रुपये का मुनाफा कमाया.

एफआईआर और जांच

इसके बाद साल 2018 में एक सामाजिक कार्यकर्ता सुरेंद्र शर्मा की शिकायत पर गुरुग्राम में वाड्रा,हुड्डा,डीएलएफ और ओंकारेश्वर प्रॉपर्टीज के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई. आरोपों में धोखाधड़ी,भ्रष्टाचार और आपराधिक साजिश जैसे गंभीर आरोप शामिल थे.

जांच में अशोक खेमका का बड़ा खुलासा

IAS अधिकारी अशोक खेमका ने अपनी जांच में इस सौदे को ‘फर्जी लेन-देन' बताया और जमीन का म्यूटेशन रद्द कर दिया. इसके बाद उनका तबादला कर दिया गया,जिसके बाद इस मामले ने तूल पकड़ लिया.

ढींगरा आयोग की जांच में क्या निकला

2015 में,हरियाणा की खट्टर सरकार ने जस्टिस एसएन ढींगरा के नेतृत्व में एक जांच आयोग बनाया. आयोग ने कई गांवों में दिए गए लाइसेंस की जांच की,लेकिन उसकी रिपोर्ट को आज तक सार्वजनिक नहीं किया गया,क्योंकि हुड्डा ने कोर्ट में इसे चुनौती दी.

ज़मीन सौदे के पीछे क्या था मकसद?

शिकायतकर्ता का दावा है कि इस पूरे खेल का मकसद वाड्रा और डीएलएफ को फायदा पहुंचाना था. यहां तक कि ओंकारेश्वर प्रॉपर्टीज को चेक से पेमेंट दिखाया गया,लेकिन वो चेक कभी जमा ही नहीं हुआ,जिससे संदेह और बढ़ गया.


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