जमीयत उलमा-ए-हिंद ने वक्फ कानून को सुप्रीम कोर्ट में दी चुनौती, मदनी बोले- धार्मिक आजादी छीनने की साजिश
04-07 IDOPRESS
जमीयत उलमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी.
संसद से पास होने के बाद वक्फ संशोधन बिल 2025 को राष्ट्रपति की मंजूरी मिल चुकी है. अब एक नए कानून के रूप में लागू होने वाला है. लेकिन वक्फ कानून के लागू होने से पहले इसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका पर याचिका दायर की जा रही है. कांग्रेस,एआईएमआईएम,आम आदमी पार्टी और एसोसिएशन फॉर द प्रोटेक्शन इन द मैटर्स ऑफ सिविल राइट्स के बाद अब जमीयत उलमा-ए-हिंद ने भी वक्फ कानून को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है.
जमीयत उलमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी ने कहा कि हमने पहले ही स्पष्ट कर दिया था कि अगर यह बिल कानून बना तो हम इसे देश की सर्वोच्च अदालत में चुनौती देंगे. इसलिए राष्ट्रपति की मुहर लगते ही जमीयत उलमा-ए-हिंद ने आज इस कानून के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में रिट याचिका दाखिल कर दी है.
वक्फ की हिफाजत करना हमारा कर्तव्यः मदनी
मौलाना अरशद मदनी ने आगे कहा,"वक्फ की हिफाज़त हमारा धार्मिक कर्तव्य है. यह कानून भारतीय संविधान पर सीधा हमला करती है. संविधान न सिर्फ सभी नागरिकों को समान अधिकार देता है,बल्कि पूर्ण धार्मिक स्वतंत्रता भी प्रदान करता है. यह बिल मुसलमानों की धार्मिक स्वतंत्रता छीनने की साजिश है,जो पूरी तरह संविधान के खिलाफ है.जमीयत की राज्य इकाइयां हाईकोर्ट में दाखिल करेंगी याचिका
जमीयत उलमा-ए-हिंद के प्रमुख मौलाना अरशद मदनी ने कहा कि जमीयत उलमा-ए-हिंद की राज्य इकाइयाँ भी इस कानून के खिलाफ संबंधित राज्यों के हाई कोर्ट में याचिकाएं दाखिल करेंगी. मौलाना मदनी ने कहा कि न्यायपालिका पर पूरा भरोसा है कि जैसे अन्य मामलों में न्याय हुआ,वैसे ही इस संवेदनशील और असंवैधानिक कानून पर भी हमे न्याय मिलेगा.सेक्युलर दलों के नेताओं पर भड़के मदनी
मौलाना मदनी ने तथाकथित सेक्युलर दलों के नेताओं की आलोचना करते हुए कहा कि इन नेताओं का व्यवहार सांप्रदायिक ताकतों से भी ज़्यादा खतरनाक है,क्योंकि इन्होंने दोस्त बनकर पीठ में छूरा घोंपा है. उन्होंने स्पष्ट कहा कि सेक्युलर जनता और खासकर मुसलमान इन्हें कभी माफ नहीं करेंगे.यह भी पढ़ें -वक्फ संशोधन बिल को मिली राष्ट्रपति की मंजूरी,अस्तित्व में आया नया कानून