पेशवा राज से फडणवीस का कनेक्शन, जानिए देवेंद्र कैसे बने मुंबई ही नहीं महाराष्ट्र के किंग
12-05 HaiPress
Devendra Fadnavis Early Life: आज देवेंद्र फडणवीस एक बार फिर मुख्यमंत्री पद की शपथ लेंगे.
Maharashtra New CM Oath: देवेंद्र फडणवीस (Devendra Fadnavis) तीसरी बार आज महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने जा रहे हैं. महाराष्ट्र जैसे राज्य में बीजेपी का एकछत्र राज लाने वाले इस नेता के बारे में यूं तो देश के ज्यादातर लोग जान गए हैं,लेकिन शरद पवार और ठाकरे परिवार तक ने भी शायद ये नहीं सोचा होगा कि पेशवा राज में ताकतवर रहे फडणवीसों के ब्राह्मण परिवार में 22 जुलाई 1970 को जन्मे देवेंद्र फडणवीस कुछ इस तरह उनकी राजनीति समाप्त कर देंगे. देवेंद्र फडणवीस के पिता गंगाधर फडणवीस आरएसएस और बीजेपी से जुड़े हुए थे. इसके कारण बचपन से बीजेपी की ओर राजनीतिक रुझान और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के विचार फडणवीस में रच बस गए. फडणवीस जब पांच साल के थे तो इमरजेंसी के विरोध में उनके पिता गंगाधर फडणवीस को जेल जाना पड़ा था. फडणवीस के बालमन पर उसका ऐसा प्रभाव पडा कि फिर वो उस स्कूल में पढ़ने गए ही नहीं,जिसका नाम इमरजेंसी लगाने वाली प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के नाम पर था. फिर इंदिरा कॉन्वेंट स्कूल की जगह उनके पिता ने देवेंद्र का नाम नागपुर के ही सरस्वती विद्यालय में लिखवाया,जहां से उन्होंने अपनी अधिकांश स्कूली शिक्षा प्राप्त की.
जर्मनी में भी की पढ़ाई
फडणवीस ने धरमपेठ जूनियर कॉलेज से पढ़ाई की. इसके बाद वकालत की पढ़ाई उन्होंने नागपुर विश्वविद्यालय के गवर्नमेंट लॉ कॉलेज से की. इसके बाद उन्होंने बिजनेस मैनेजमेंट में पोस्ट ग्रेजुएशन किया. जर्मनी की राजधानी बर्लिन के डीएसई-जर्मन फाउंडेशन फॉर इंटरनेशनल डेवलपमेंट से प्रोजेक्ट मैनेजमेंट के तरीकों और तकनीकों में डिप्लोमा कोर्स भी किया. राजनीतिक परिवेश का असर फडणवीस के बाल मन पर ही पड़ चुका था. इसीलिए कॉलेज में आते आते फडणवीस राजनीति में बहुत ज्यादा सक्रिय हो गए थे. एक तरफ कानून से लेकर मैनेजमेंट तक की पढ़ाई पर फोकस रखते थे,तो दूसरी तरफ अपने राजनीतिक हुनर को भी चमका रहे थे.
एबीवीपी से शुरूआत
1990 के दशक की शुरुआत में भारतीय राजनीति में कांग्रेस से लोगों का मोहभंग दिखने लगा था,तब नागपुर में पले बढ़े फडणवीस ने आरएसएस से जुड़ी छात्र शाखा अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद से अपना नाता जोड़ लिया.कॉलेज के दिनों में ही वो एबीवीपी के सक्रिय सदस्य बन गए. 1992 में सिर्फ 22 साल की उम्र में वो नगरसेवक बने,जिसके बाद उनकी राजनीति सत्ता की तरफ मुड़ने लगी. 5 साल बाद 1997 में फडणवीस नागपुर नगर निगम में सबसे कम उम्र के मेयर बने. भारत के इतिहास में वे दूसरे सबसे कम उम्र के मेयर रहे हैं. दो साल बाद ही 1999 में पहली बार नागपुर से विधायक बने और तब से अब तक लगातार चुनाव जीत रहे हैं.
2013 बना टर्निंग प्वाइंट
11 अप्रैल 2013 को उनकी राजनीति में सबसे पहला और बडा मोड़ तब आया जब उन्हें महाराष्ट्र बीजेपी का अध्यक्ष बनाया गया. ये वो दौर था जब नागपुर से ही आने वाले नितिन गडकरी कुछ समय पहले बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष पद से हटे थे. ये फडणवीस के उभार का वक्त था. यही वक्त राष्ट्रीय राजनीति में नरेंद्र मोदी के भी उभार का था. एक साल बाद 2014 में नरेंद्र मोदी देश के प्रधानमंत्री बने. इसी साल महाराष्ट्र में भी विधानसभा चुनाव हुए. लोकसभा में मिलकर चुनाव लड़ने वाली बीजेपी और शिवसेना के रास्ते विधानसभा चुनाव में अलग हो गए. दोनों ने अलग-अलग चुनाव लड़ा,क्योंकि बात मुख्यमंत्री पद पर फंसी थी. बीजेपी इस बार शिवसेना को सीनियर पार्टनर बनाने के लिए हरगिज तैयार नहीं थी,लेकिन चुनाव अलग-अलग लड़ने वाली बीजेपी और शिवसेना की दोस्ती चुनाव के नतीजों ने कराई. चुनाव के नतीजे आए तो बीजेपी नंबर वन पार्टी बन गई. उद्धव ठाकरे की शिवसेना को हार मानकर सरकार में शामिल होना पड़ा. तब फडणवीस के समर्थकों ने मुख्यमंत्री पद के लिए नारा उछाला था- 'देश में नरेंद्र,महाराष्ट्र में देवेंद्र.'
उद्धव ठाकरे ने किया किनारा
फडणवीस मुख्यमंत्री बन गए,पांच साल तक शिवसेना के साथ फडणवीस की सरकार चलती रही,लेकिन उद्धव ठाकरे के दिल में कहीं ना कहीं मुख्यमंत्री बनने की महत्वाकांक्षा तो थी. 2019 के चुनाव नतीजे आए तो साथ चुनाव लड़ने के बावजूद उद्धव ठाकरे ने ये शर्त लगाकर किनारा कर लिया कि ढाई साल के लिए मुख्यमंत्री पद उन्हें भी मिलना चाहिए. फडणवीस जिस अजित पवार पर जेल में चक्की पिसिंग एंड पिसिंग वाली चुटकी ले रहे थे,उसी अजित पवार के साथ 23 नवंबर 2019 की अलसुबह फडणवीस ने सरकार बना ली,लेकिन तब फडणवीस सरकार तीन दिनों से ज्यादा चली नहीं. शरद पवार ने एनसीपी के बागी विधायकों को धमकाकर पार्टी में वापस बुला लिया. विधानसभा में संख्या बल न होने के कारण सरकार गिर गई,लेकिन देवेंद्र फडणवीस ने तभी ये ठान लिया था कि वो वापसी करेंगे.
उद्धव और शरद पवार की पार्टी टूटी
देवेंद्र फडणवीस से सत्ता तो छिन गई और उनकी जगह उद्धव ठाकरे मुख्यमंत्री बन गए,लेकिन विपक्ष के नेता के रूप में उन्होंने ठाकरे सरकार को नाको चने चबवा दिए. लगातार ठाकरे सरकार पर हमले बोलते रहे. जून 2022 में पार्टी में बगावत होने के बाद ठाकरे सरकार गिर गई. माना जाता है कि यह बगावत देवेंद्र फडणवीस के समर्थन से ही मुमकिन हो पाई. शिवसेना दो फाड़ हो गई और एकनाथ शिंदे वाले धड़े के साथ मिलकर महाराष्ट्र में फिर से बीजेपी की सरकार बन गई. उद्धव ठाकरे की सरकार को गिराकर बीजेपी सत्ता में वापस तो आ गई थी और विधानसभा में सरकार के पास पर्याप्त संख्या बल भी था,लेकिन महाराष्ट्र में बीजेपी की एक और दुश्मन पार्टी मौजूद थी,जिसके मुखिया थे शरद पवार. फडणवीस ने पार्टी आलाकमान के साथ रणनीति बनाई और एनसीपी में भी बगावत करवा दी. अजीत पवार की अगुवाई में जो धड़ा शरद पवार से टूटा उसे सरकार में शामिल कर लिया गया. एक बार फडणवीस खुद ये बात कह चुके हैं कि उन्होंने महाराष्ट्र में दो पार्टियों को तोड़ा. अब आखिरकार तीसरी बार फडणवीस महाराष्ट्र के 'बॉस' बनेंगे.
महाराष्ट्र चुनाव का स्कोर कार्ड
महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव के हाल में घोषित नतीजों में सत्तारूढ़ ‘महायुति' प्रचंड बहुमत के साथ सत्ता बरकरार रखने में सफल रहा है. इस गठबंधन के घटक दलों में शामिल भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को 132 सीट,मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे की अगुवाई वाली शिवसेना को 57 और उपमुख्यमंत्री अजित पवार के नेतृत्व वाली राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) को 41 सीट हासिल हुईं. विपक्षी महा विकास आघाडी (एमवीए) के तीनों घटक दल राकांपा (शरदचंद्र पवार),कांग्रेस और शिवसेना (उबाठा) सामूहिक रूप से राज्य की कुल 288 विधानसभा सीट में से केवल 46 पर ही जीत हासिल कर सके.