Close

पंजाब में पराली जलाने में कमी नहीं, किसान कैसे दे रहे NASA के सैटेलाइट को चकमा, साइंटिस्ट ने बताया

11-15 HaiPress

पंजाब में लगातार जलाई जा रही पराली.

दिल्ली:

उत्तर भारत इन दिनों धुंध की मोटी चादर में लिपटा हुआ है,जिसकी वजह से थोड़ी दूर तक देखना भी मुश्किल हो रहा है. वहीं तापमान में भी गिरावट देखी जा रही है. प्रदूषण (Pollution) से इतना बुरा हाल है कि एक्यूआई लगातार गंभीर श्रेणी में है. इंडो-गगंटिक प्लेन्स (IGP) में हवा की गुणवत्ता चिंता का विषय बनी हुई है. सैटेलाइट इमेजेस से दिल्ली और इसके आसपास के इलाकों समेत उत्तर-पश्चिम भारत में धुंध खतरनाक स्तर पर दिखाई दे रही है. पंजाब,हरियाणा,उत्तर प्रदेश,दिल्ली,उत्तरी राजस्थान के कुछ हिस्से,उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश भा भी धुंध से बुरा हाल है.

ये भी पढ़ें-दिल्ली समेत पूरे उत्तर भारत का धुंध से बुरा हाल,50 से ज्यादा ट्रेनें लेट,इन फ्लाइट्स पर भी असर

क्या है धुंध बढ़ने की वजह,जानिए

नासा गोडार्ड स्पेस फ्लाइट सेंटर के एयरोसोल रिमोट सेंसिंग वैज्ञानिक हिरेन जेठवा ने सैटेलाइट इमेजिस को शेयर किया है,जिनमें आईजीपी को कवर करने वाले स्मॉग की डिटेलिंग,नवंबर में घनी धुंध की वजह और पंजाब में किसान कैसे नासा की सैटेलाइट को चकमा दे रहे हैं,इसके बारे में जानकारी दी है,जिसमें पराली जलती हुई भी दिखाई दे रही है.

Early morning satellite images reveal IGP engulfed in smog. Delhi AQI in severe category. Urban heat island effect over Delhi. Farm fires in Pujab appear to have passed peak burning phase,but still plenty to fuel bad AQI downwind @VishnuNDTV @mohitk1 @CBhattacharji @jksmith34 pic.twitter.com/OTGXyJwVny

— Hiren Jethva (@hjethva05) November 14,2024

धुंध और प्रदूषण लगातार बढ़ता जा रहा है. इसके पीछे बड़ा कारण थर्मल इनवर्जन है. नासा के रिसर्च साइंटिस्ट हिरेन जेठवा ने बताया कि गर्म हवा की परत जमीन पर ठंडी हवा के ऊपर उठ जाती है और ठंडी हवा नीचे गिरने लगती है. थर्मल इनवर्जन जितना मजबूत होगा,उतना ही ज्यादा प्रदूषक बाउंड्री के पास रहेगा. इसके बाहर निकलने की कोई जगह नहीं रहती है.

सैटेलाइट इमेज में पराली जलाने की कम घटनाएं क्यों?

जेठवा ने बताया कि सामने आई सैटेलाइट इमेजेस में देखा जा सकता है कि पराली जलने से निकलने वाला धुआं बादलों में मिल जाता है और उनके ऊपर रहता है. इसी स्थिति की वजह से थर्मल इनवर्जन बढ़ता है और ऊपरी परत गर्म हो जाती है.


उन्होंने कहा कि इंडो-गैंगेटिक प्लेन (IGP) पर नवंबर में कोहरा बढ़ने लगा,जो आमतौर पर दिसंबर में होता था. उन्होंने बताया कि इसमें पार्टिकुलेट मैटर (PM) ज्यादा होता है.इससे ही कोहरा बनता है. जब तापमान नीचे गिरता है तो भारी मात्रा में एरोसोल कोहरा बनता है.

नासा के सैटेलाइट से कैसे बच रहे किसान?

CAQM ने पिछले साल की तुलना में पराली जलाने की घटनाओं में करीब 71 प्रतिशत की कमी लाने के लिए पंजाब की कोशिश को सराहा था. लेकिन जेठवा का कहना है कि सच्चाई ये नहीं है कि पंजाब और हरियाणा में पराली कम जल रही है. 400 से ज्यादा ताजा मामले दर्ज होने के बाद सोमवार को सिर्फ पंजाब में पराली के 7,000 से ज्यादा मामले सामने आए थे. उनका दावा है कि पंजाब के किसान नासा सैटेलाइट्स के गुजरने के बाद पराली जला रहे हैं.

Today's GEO-KOMSAT A2 satellite images visually convince of late afternoon burning acticitivities in NW India,avoiding NASA satellite surveillance around 1:30 PM IST @VishnuNDTV @CBhattacharji @parthaabosu @jksmith34 @UrbanEmissions @avoiland @moesgoi pic.twitter.com/BJsidjNqzy

— Hiren Jethva (@hjethva05) October 29,2024

किस समय पराली जला रहे किसान?

उन्होंने कहा कि हम सुओमी एनपीपी और एक्वा जैसे नासा सैटेलाइट के दोपहर के ओवरपास समय के डेटा का इस्तेमाल करते हैं. ये सैटेलाइट दोपहर 1:30-2:00 बजे के आसपास क्षेत्र से ओवरपास होते हैं,ये बात किसानों को समझ आ गई है. वह इस पर नजर रखते हैं और फिर पराली जला देते हैं,जिस पर फिर नजर भी नहीं रखी जाती है. इसकी पुष्टि दक्षिण कोरियाई भूस्थैतिक उपग्रह ने भी की है कि दोपहर को 2 बजे के बाद ज्यादातर फसलें जताई जाती हैं. लेकिन आग को भूस्थैतिक उपग्रहों ये छिपाया नहीं जा सकता. ये हर पांच मिनट पर भेत्र की तस्वीरें कैप्चर करती हैं.


डिस्क्लेमर: यह लेख अन्य मीडिया से पुन: पेश किया गया है। रिप्रिंट करने का उद्देश्य अधिक जानकारी देना है। इसका मतलब यह नहीं है कि यह वेबसाइट अपने विचारों से सहमत है और इसकी प्रामाणिकता के लिए जिम्मेदार है, और कोई कानूनी जिम्मेदारी वहन नहीं करती है। इस साइट पर सभी संसाधन इंटरनेट पर एकत्र किए गए हैं। साझा करने का उद्देश्य केवल सभी के सीखने और संदर्भ के लिए है। यदि कॉपीराइट या बौद्धिक संपदा उल्लंघन है, तो कृपया हमें एक संदेश छोड़ दें।
© कॉपीराइट 2009-2020 भारतीय समाचार      हमसे संपर्क करें   SiteMap