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भारतीय मूल के प्रसिद्ध डॉक्टर की अमेरिका में गोली मारकर हत्या, परिवार ने प्राइवेसी की अपील की

08-26 ndtv.in HaiPress

डॉ. रमेश बाबू परमशेट्टी ने कोरोना काल में लोगों की बहुत सहायता की थी.

Indian origin doctor shot dead in America : अमेरिका में अलबामा के शहर टस्कलोसा में शुक्रवार को एक भारतीय मूल के डॉक्टर को गोली मार दी गई. पीड़ित की पहचान डॉ. रमेश बाबू परमशेट्टी के रूप में हुई. उनकी मौके पर ही मौत हो गई. वह एक प्रसिद्ध चिकित्सक थे. डॉ. रमेश मूल रूप से आंध्र प्रदेश के तिरूपति जिले के रहने वाले थे. वह क्रिमसन नेटवर्क के रूप में काम करने वाले स्थानीय चिकित्सा अधिकारियों के एक समूह के संस्थापकों और चिकित्सा निदेशक में से एक थे. उन्हें स्वास्थ्य सेवा के क्षेत्र में उनके योगदान के लिए जाना जाता था और उन्होंने टस्कालोसा में एक चिकित्सक के रूप में भी प्रैक्टिस किया था.

क्रिमसन केयर नेटवर्क टीम ने एक फेसबुक पोस्ट में कहा,"जैसा कि इस समय बहुत से लोग जानते हैं,हमें डॉ. रमेश परमशेट्टी के निधन के बारे में सूचित किया गया है. परमशेट्टी परिवार ने हमसे अनुरोध किया है कि हम उन्हें प्राइवेसी दें,क्योंकि वे निधन पर शोक मना रहे हैं. परिवार को भरपूर प्यार और विश्वास दोस्तों से मिला है." क्रिमसन केयर नेटवर्क ने कहा कि उसकी टीम "अगले कुछ दिनों में इस बारे में विस्तार से बात करेगी."

डॉ. रमेश बाबू पेरमसेट्टी कौन थे?

उनके वेडएमडी पेज के अनुसार,डॉ. परमशेट्टी ने 1986 में विस्कॉन्सिन के मेडिकल कॉलेज,श्री वेंकटेश्वर मेडिकल कॉलेज से स्नातक की उपाधि प्राप्त की. उनके पास 38 साल का अनुभव था. इसमें कहा गया है कि उन्होंने टस्कलोसा और चार अन्य स्थानों पर काम किया और आपातकालीन चिकित्सा और पारिवारिक चिकित्सा में विशेषज्ञता हासिल की. वह डिप्लोमा इन चाइल्ड हेल्थ (डीसीएच) क्षेत्रीय चिकित्सा केंद्र से भी संबद्ध थे.

स्थानीय रिपोर्टों के अनुसार,चिकित्सा पेशे में उनके महत्वपूर्ण योगदान के कारण टस्कलोसा में एक सड़क का नाम उनके नाम पर रखा गया था. रिपोर्ट्स के मुताबिक,उन्होंने कोविड-19 महामारी के दौरान भी खूब काम किया और इसके लिए उन्हें पुरस्कार भी मिले. रिपोर्टों के अनुसार,उनके परिवार में पत्नी,दो बेटे और दो बेटियां हैं और सभी अमेरिका में बस गए हैं. रिपोर्ट्स के मुताबिक,उन्होंने आंध्र प्रदेश के मेनकुरु हाई स्कूल को 14 लाख रुपये का दान दिया था,जहां उन्होंने पढ़ाई की थी और अपने गांव में एक साईं मंदिर के निर्माण के लिए भी दान दिया था.

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